महीना: दिसम्बर 2010

अम्मा और मैं- एक अनोखा रिश्ता (3.)

कुछ महीने पहले एक कोशिश की थी, अठारह साल पहले इस दुनिया से रूठ गयी अपनी माँ से अपने रिश्ते को समझने की, उसे शब्दों में बाँधने की. सोचा था तीन कड़ियों में कुछ समेट पाऊँगी. वैसे तो माँ की यादों को कुछ शब्दों में नहीं समाया जा सकता, पर ये कोशिश, कुछ लिखने के … पढ़ना जारी रखें अम्मा और मैं- एक अनोखा रिश्ता (3.)

आस-पड़ोस की बातें

मेरा मोहल्ला संभवतः दिल्ली का सबसे इंटरेस्टिंग मोहल्ला होगा. इसके ऊपर मैंने कुछ दिन पहले एक लेख भी लिखा था मोहल्ला मोहब्बत वाला 🙂 . यहाँ पिछले पाँच सालों से रह रही हूँ. इसलिए काफी लोगों से परिचय भी हो गया है. लोगों से मेरा मतलब दुकानदारों से है, बकिया दोस्त-वोस्त तो हैं ही. यहाँ सुबह … पढ़ना जारी रखें आस-पड़ोस की बातें

चाकू (एक कहानी )

किसी शहर में एक लड़की अपने पिता के साथ रहती थी. लड़की का पिता था तो किसी फैक्ट्री में चौकीदार, पर उसे लोहारगिरी का शौक था.  वो तरह-तरह के औजार और हथियार बनाता रहता. कुल्हाड़ी, फावड़े, छेनी, हथौड़ी, आरी और तरह-तरह के चाकू.  कुछ छोटे, कुछ बड़े, कुछ लकड़ी के बेंट वाले, कुछ लोहे के, … पढ़ना जारी रखें चाकू (एक कहानी )