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खुश रहने की कुछ वजहें

मुझे आज भी याद है, जब उसका जन्म होने वाला था और दीदी हॉस्पिटल में थीं, तो मैं तीन-चार दिन तक रोज़ सपने में एक छोटी सी गुड़िया देखती थी, पंखुरी सी कोमल, पालने में लेटी अपने नन्हे-नन्हे हाथों से मेरी उँगली पकड़ने की कोशिश करती हुयी. मैंने दीदी से कहा भी था कि 'देखना … पढ़ना जारी रखें खुश रहने की कुछ वजहें

काहे को ब्याहे बिदेस

मेरे जीवन की कुछ घटनाएँ ऐसी हैं, जिन्हें अच्छी या बुरी की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, पर उन्होंने मेरे मन पर ऐसी अमिट छोड़ी है कि जब भी याद आती है, तो एक टीस सी उठती है. मेरी माँ की असमय मृत्यु के बाद दीदी ने मुझे बेटी के जैसे ही पाला-पोसा. वो मुझसे लगभग … पढ़ना जारी रखें काहे को ब्याहे बिदेस