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मैं प्यासी

... जब घुमड़ घिरी घनघोर घटा रह-रहके दामिनी चमक उठी, उपवन में नाच उठे मयूर सौंधी मिट्टी की महक बिखरी, बूँदें बरसीं रिमझिम-रिमझिम सूखी धरती की प्यास बुझी, पर मैं बिरहन प्यासी ही रही... ... ... ... ये प्रकृति का भरा-पूरा प्याला हर समय छलकता रहता है, ऋतुओं के आने-जाने का क्रम निशदिन चलता रहता … पढ़ना जारी रखें मैं प्यासी

मेरे जीवन में भी काश

मेरे जीवन में भी काश एक बार आता मधुमास कामदेव का बाण मुझे भी लग जाता मुझको भी हो जाती पिया मिलन की आस मेरे जीवन में... रिक्त हृदय का प्याला भर जाता मधु से मिट जाती मेरे भी हृदय के प्रेम की प्यास मेरे जीवन में... विरह-अग्नि में मैं भी जलती धीरे-धीरे प्रेम आग … पढ़ना जारी रखें मेरे जीवन में भी काश