फूल सभी मुरझा गये
सूरज बुझ गया
चिड़िया गूँगी हो गयी,
सन्नाटा फैल गया
सब ओर…
दिशायें सूनी हो गयीं,
रंगो से भरा ये संसार
कब हो गया फीका-सा
मुझे धुँधली सी भी नहीं याद,
कि देखी हैं कब बहारें मैंने
तुम्हारे जाने के बाद.
…….
तुम्हारे आने से
फैल जाती थी
हवाओं में महक,
और गुनगुना उठती थीं
पेड़ों की पत्तियाँ,
लगता था सारा संसार
अपना-अपना सा,
जगता था
अपने अस्तित्व की
पूर्णता का एहसास,
आज अधूरी हो गयी हूँ मैं
तुम्हारे जाने के बाद.