सक्षम हाथों से तुम्हारा क्या मतलब है? आज की लड़की को मालूम है कि उसे उड़ना है, उड़ाना है, बंधे रहना है या कट जाना है. उसे किसके सक्षम हाथों में होना चाहिए या नहीं …ये सब दूसरे ना तय करें … इसी बात की तो आज़ादी होनी चाहिए.
पतंग उड़ेगी तो डोर तो किसी के हाथ में होंगी ही होगी :-))
थोडा गहरे में जाऊ तो यही समझ में आता डोर तो किसी न किसी के हाथ में होती ही है चाहे लड़का हो या लड़की !!!!
आनंद फिलम का संवाद तो याद ही होगा :
“जिंदगी और मौत उपर वाले के हाथ हैं जहाँपनाह , उसे ना आप बदल सकते हैं न मै , हम सब तो रंगमंच की कठपुतलिया हैं ,जिसकी डोर उस उपर वाले के हाथों में है कब , कौन कहाँ उठेगा ये कोई नहीं जनता”
खैर छोड़ो इस डोर वाली बात को ..तुम्हारी पतंग बिना उडाये उड़ सकती है तो उड़े मुझे क्या :-)) .. ये भाभी का गीत जो पतंग पे है सुनो ….
“चली -चली रे पतंग मेरी चली रे -2
चली बादलों के पार हो के डोर पे सवार
सारी दुनिया ये देख -देख जली रे
चली -चली रे पतंग ..”
चैंडी को कहना, बहुत सुन्दर चित्र खोजती हैं वह.. हाँ, चित्र उतारने में खोजने कि कला सबसे पहले सीखनी होती है.. कि कौन सी चित्र उतारने लायक है और कौन सी नहीं.. 🙂
As usual …….. great work done….. nice post to be touched to the innate of heart……….
with best wishes….
Happy Independence day…..
Regards…..
Mahfooz……
खिलना, मुस्कुराना, चहचहाना….और बेहतरीन उड़ान…
बेहतर….
चैंडी को चंडी का सलाम…
धन्यवाद चंडी जी, मैं चैंडी तक आपका सलाम पहुँचा दूँगी.
आजादी का नयापन और ताजगी यहां देखने को मिली.
बेहतरीन …बिलकुल सही मतलब आज़ादी का
आह कितना सुखद अहसास आजादी का …
चारों चित्र उद्गारों से भरे हैं, आशाओं के, विश्वास के और एक अपरिमित आस के।
1-बेटियां मुस्कराती रहें
2-बच्चे हंसते रहें
3-फूल खिलते रहें
4-पतंग उडती रहें
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !
sweet.. very sweet.. and the style of saying it ‘very very sweet’…
बहुत खूब !क्या अंदाज़ है सच में अनूठा !
अंग्रेजों से प्राप्त मुक्ति-पर्व
..मुबारक हो!
समय हो तो एक नज़र यहाँ भी:
आज शहीदों ने तुमको अहले वतन ललकारा : अज़ीमउल्लाह ख़ान जिन्होंने पहला झंडा गीत लिखा http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_14.html
“बेटियाँ जन्मती रहें, मुस्कुराती रहें ….पतंगों सी उड़ती और उडाती रहें”
……….कटी पतंग न बने कभी , डोर हो उनकी सक्षम हाथो में हमेशा .!!!
Arvind K.Pandey
http://indowaves.instablogs.com/
सक्षम हाथों से तुम्हारा क्या मतलब है? आज की लड़की को मालूम है कि उसे उड़ना है, उड़ाना है, बंधे रहना है या कट जाना है. उसे किसके सक्षम हाथों में होना चाहिए या नहीं …ये सब दूसरे ना तय करें … इसी बात की तो आज़ादी होनी चाहिए.
सुन्दर चित्र और चित्ताकर्षक कैप्शन
ये हुई ना कुछ जोरदार आजादी की बात …
जितनी भी है उस आजादी की बहुत शुभकामनायें ..!
हमने चिंघाड़ दिया है कि अब आज़ाद रहने के दिन आये.. चारो तस्वीरो को खूबसूरत कैप्शन दिए गए है..
nice picks ,kudos to Chandy n you !
आज़ादी की शुभ-कामनाएं
आकांक्षाएं उडे अनंत आकाश!!
पतंग उड़ेगी तो डोर तो किसी के हाथ में होंगी ही होगी :-))
थोडा गहरे में जाऊ तो यही समझ में आता डोर तो किसी न किसी के हाथ में होती ही है चाहे लड़का हो या लड़की !!!!
आनंद फिलम का संवाद तो याद ही होगा :
“जिंदगी और मौत उपर वाले के हाथ हैं जहाँपनाह , उसे ना आप बदल सकते हैं न मै , हम सब तो रंगमंच की कठपुतलिया हैं ,जिसकी डोर उस उपर वाले के हाथों में है कब , कौन कहाँ उठेगा ये कोई नहीं जनता”
खैर छोड़ो इस डोर वाली बात को ..तुम्हारी पतंग बिना उडाये उड़ सकती है तो उड़े मुझे क्या :-)) .. ये भाभी का गीत जो पतंग पे है सुनो ….
“चली -चली रे पतंग मेरी चली रे -2
चली बादलों के पार हो के डोर पे सवार
सारी दुनिया ये देख -देख जली रे
चली -चली रे पतंग ..”
सुन्दर चित्र। सुन्दर कैप्शन! आमीन!
एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !
स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
बेटी,
डोर भी तुम हो, पतंग भी तुम,
डोर थमे हाथ भी तुम्हारे हों
खुशी भी तुम हो, खुश भी तुम
जिवित भी तुम, जीवन भी तुम।
न तुम किसी की पूँजी हो
न किसी की अमानत
खुशी खोजना भी जानो
और खुशी पाना भी तुम।
देना भी जानो और
सादर लेना भी तुम
हँसना भी जानो
और हँसाना भी तुम।
कविता बन रही है बस यूँ ही।
बहुत सुन्दर भाव व फ़ोटो हैं।
घुघूती बासूती
बेटी,
डोर भी तुम हो, पतंग भी तुम,
डोर थामे हाथ भी तुम्हारे हों
खुशी भी तुम हो, खुश भी तुम
जिवित भी तुम, जीवन भी तुम।
न तुम किसी की पूँजी हो
न किसी की अमानत
खुशी खोजना भी जानो
और खुशी पाना भी तुम।
देना भी जानो और
सादर लेना भी तुम
हँसना भी जानो
और हँसाना भी तुम।
कविता बन रही है बस यूँ ही।
बहुत सुन्दर भाव व फ़ोटो हैं।
घुघूती बासूती
धन्यवाद ! घुघूती बासूती जी, इस प्यारी सी कविता के लिए.
बड़ी प्यारी तस्वीरे हैं….प्यारे प्यारे कैप्शन के साथ…घुघूती जी की कविता ने तो इस चाँद जैसी चमकीली पोस्ट में चार चाँद और लगा दिए
खूबसूरत कैप्शन और भी खूबसूरत बना रहे हैं इन चित्रों को !
वैसे डोर-पतंग की अरविन्द जी की बातें महत्वपूर्ण हैं !
चित्र तो बहुत कुछ कह ही रहे हैं. केप्शन ने चार चाँद लगा दिया.
चैंडी को कहना, बहुत सुन्दर चित्र खोजती हैं वह.. हाँ, चित्र उतारने में खोजने कि कला सबसे पहले सीखनी होती है.. कि कौन सी चित्र उतारने लायक है और कौन सी नहीं.. 🙂
बहुत प्यारे चित्र हैं..