चार चित्र आज़ादी के…

आज फिर मैं अपनी सहेली चैंडी द्वारा ली हुयी कुछ तस्वीरें पोस्ट कर रही हूँ… कैप्शन मैंने लिखे हैं. आज़ादी का छोटा सा मतलब…

(सभी चित्र मेरी सहेली चैंडी के कैमरे से )

28 विचार “चार चित्र आज़ादी के…&rdquo पर;

  1. बहुत खूब !क्या अंदाज़ है सच में अनूठा !

    अंग्रेजों से प्राप्त मुक्ति-पर्व
    ..मुबारक हो!

    समय हो तो एक नज़र यहाँ भी:

    आज शहीदों ने तुमको अहले वतन ललकारा : अज़ीमउल्लाह ख़ान जिन्होंने पहला झंडा गीत लिखा http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_14.html

  2. “बेटियाँ जन्मती रहें, मुस्कुराती रहें ….पतंगों सी उड़ती और उडाती रहें”

    ……….कटी पतंग न बने कभी , डोर हो उनकी सक्षम हाथो में हमेशा .!!!

    Arvind K.Pandey
    http://indowaves.instablogs.com/

    1. सक्षम हाथों से तुम्हारा क्या मतलब है? आज की लड़की को मालूम है कि उसे उड़ना है, उड़ाना है, बंधे रहना है या कट जाना है. उसे किसके सक्षम हाथों में होना चाहिए या नहीं …ये सब दूसरे ना तय करें … इसी बात की तो आज़ादी होनी चाहिए.

  3. पतंग उड़ेगी तो डोर तो किसी के हाथ में होंगी ही होगी :-))

    थोडा गहरे में जाऊ तो यही समझ में आता डोर तो किसी न किसी के हाथ में होती ही है चाहे लड़का हो या लड़की !!!!

    आनंद फिलम का संवाद तो याद ही होगा :
    “जिंदगी और मौत उपर वाले के हाथ हैं जहाँपनाह , उसे ना आप बदल सकते हैं न मै , हम सब तो रंगमंच की कठपुतलिया हैं ,जिसकी डोर उस उपर वाले के हाथों में है कब , कौन कहाँ उठेगा ये कोई नहीं जनता”

    खैर छोड़ो इस डोर वाली बात को ..तुम्हारी पतंग बिना उडाये उड़ सकती है तो उड़े मुझे क्या :-)) .. ये भाभी का गीत जो पतंग पे है सुनो ….

    “चली -चली रे पतंग मेरी चली रे -2
    चली बादलों के पार हो के डोर पे सवार
    सारी दुनिया ये देख -देख जली रे
    चली -चली रे पतंग ..”

  4. एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
    आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !
    स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!

  5. बेटी,
    डोर भी तुम हो, पतंग भी तुम,
    डोर थमे हाथ भी तुम्हारे हों
    खुशी भी तुम हो, खुश भी तुम
    जिवित भी तुम, जीवन भी तुम।

    न तुम किसी की पूँजी हो
    न किसी की अमानत
    खुशी खोजना भी जानो
    और खुशी पाना भी तुम।

    देना भी जानो और
    सादर लेना भी तुम
    हँसना भी जानो
    और हँसाना भी तुम।

    कविता बन रही है बस यूँ ही।
    बहुत सुन्दर भाव व फ़ोटो हैं।
    घुघूती बासूती

  6. बेटी,
    डोर भी तुम हो, पतंग भी तुम,
    डोर थामे हाथ भी तुम्हारे हों
    खुशी भी तुम हो, खुश भी तुम
    जिवित भी तुम, जीवन भी तुम।

    न तुम किसी की पूँजी हो
    न किसी की अमानत
    खुशी खोजना भी जानो
    और खुशी पाना भी तुम।

    देना भी जानो और
    सादर लेना भी तुम
    हँसना भी जानो
    और हँसाना भी तुम।

    कविता बन रही है बस यूँ ही।
    बहुत सुन्दर भाव व फ़ोटो हैं।
    घुघूती बासूती

  7. बड़ी प्यारी तस्वीरे हैं….प्यारे प्यारे कैप्शन के साथ…घुघूती जी की कविता ने तो इस चाँद जैसी चमकीली पोस्ट में चार चाँद और लगा दिए

  8. चैंडी को कहना, बहुत सुन्दर चित्र खोजती हैं वह.. हाँ, चित्र उतारने में खोजने कि कला सबसे पहले सीखनी होती है.. कि कौन सी चित्र उतारने लायक है और कौन सी नहीं.. 🙂

    बहुत प्यारे चित्र हैं..

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