मैं अक्सर जो सोचती हूँ, कर डालती हूँ. कुछ समय से दिल्ली से मन ऊबा था. आठ महीनों से कहीं बाहर नहीं निकली थी. गर्मी ने और नाक में दम कर दिया... मन हुआ कहीं दूर बादलों की छाँव में चले जाने का, तो निकल लिए बाहर. दस घंटे का बस का सफर करके नैनीताल … पढ़ना जारी रखें ओढ़े रात ओढ़नी बादल की
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मिट्टी का घर, आम का पेड़, झूले, कजरी…सब बीती बातें
मेरे गाँव में बरसों पहले हमारा एक मिट्टी का घर था. आँगन, ओसार, दालान और छोटे-छोटे कमरों वाले उस बड़े से घर से धुँए, सौंधी मिट्टी, गुड़(राब) और दादी के रखे- उठे हुए सिरके की मिली-जुली गंध आती थी. घर के पश्चिम में एक बैठक थी. बैठक और घर के बीच के बड़े से दुआर … पढ़ना जारी रखें मिट्टी का घर, आम का पेड़, झूले, कजरी…सब बीती बातें
My Tour To Devprayag
मई के महीने में दिल्ली की गर्मियों से बचने के लिये हम कुछ मित्रगण उत्तराखंड गये. हरिद्वार में राहत नहीं मिली तो सोचा कि देवप्रयाग चला जाय. अलकनंदा और भागीरथी नदियों के संगम पर स्थित इस तीर्थ का बहुत नाम सुना था. वहाँ पहुँचकर गर्मी से राहत तो नहीं मिली, पर पहाड़ों के सुन्दर दृश्यों … पढ़ना जारी रखें My Tour To Devprayag