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एक सुबह, एक शाम, एक रात

एक सुबह, बांस की पत्ती के कोने पर अटकी ओस की बूँद कैद कर ली थी आँखों के कैमरे में आज भी कभी-कभी वो बंद पलकों में उतरती है, ... ... एक शाम, पक्षियों के कलरव को सुना था बैठकर छत की मुंडेर पर, जिसकी धुन मन में अब भी जलतरंग सी बजती है, ... … पढ़ना जारी रखें एक सुबह, एक शाम, एक रात

बया का घोंसला

कहते हैं कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है, पर मेरा खाली दिमाग तो रचनात्मक ऊर्जा से भर जाता है. कभी किसी गम्भीर विषय पर चिन्तन करने लगता है, तो कभी यादों के गलियारों में भटकने लगता है. कल रात को ही लीजिये, मुझे एक छोटी सी घटना याद आयी और चेहरे पर मुस्कान … पढ़ना जारी रखें बया का घोंसला

अवसाद-1 (अकेलापन)

अखरने लगता है अकेलापन शाम को... जब चिड़ियाँ लौटती हैं अपने घोसलों की ओर, और सूरज छिप जाता है पेड़ों की आड़ में, मैं हो जाती हूँ और भी अकेली. ... ... मैं अकेली हूँ... सामने पेड़ की डाल पर बैठे उस घायल पक्षी की तरह, जो फड़फड़ाता है पंख उड़ने के लिये पर... उड़ … पढ़ना जारी रखें अवसाद-1 (अकेलापन)