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पुस्तक मेला (2015) से लौटकर (२.)

मैं पहले ही दो दिन पुस्तक मेला घूम आयी थी, इसलिए फिर जाने का कोई इरादा नहीं था. लेकिन बीस फरवरी को जब पुस्तक मेले में थी, तभी अनु का मेसेज आया कि वह कल अपने बच्चों को लेकर आ रही है, मैं आ सकती हूँ क्या? मेरा बहुत दिनों से उसके बच्चों आदित और … पढ़ना जारी रखें पुस्तक मेला (2015) से लौटकर (२.)

पुस्तक मेला (2015) से लौटकर (१)

बहुत दिनों से खुद को एक अदृश्य खोल में बंद कर रखा था. पता नहीं सभी को ऐसा लगता है या सिर्फ मेरे साथ ऐसा होता है कि कभी-कभी किसी से भी मिलने का मन नहीं होता, बात करने का मन नहीं होता. बस अकेले में खुद के साथ वक्त बिताना अच्छा लगता है- किताबों, … पढ़ना जारी रखें पुस्तक मेला (2015) से लौटकर (१)