प्यार करते हुए
प्यार करते हुए
जब-जब लड़के ने डूब जाना चाहा
लड़की उसे उबार लाई।
जब-जब लड़के ने खो जाना चाहा प्यार में
लड़की ने उसे नयी पहचान दी।
लड़के ने कहा, “प्यार करते हुए अभी इसी वक्त
मर जाना चाहता हूँ मैं तुम्हारी बाहों में”
लड़की बोली, “देखो तो ज़िंदगी कितनी खूबसूरत है,
और वो तुम्हारी ही तो नहीं, मेरी भी है
तुम्हारे परिवार, समाज और इस विश्व की भी है।”
प्यार करते हुए
लीन हो गए दोनों एक सत्ता में
पर लड़की ने बचाए रखा अपना अस्तित्व
ताकि लड़के का वजूद बना रह सके ।
लड़का कहता ‘प्यार समर्पण है एक-दूसरे में
अपने-अपने स्वत्व का’
लड़की कहती ‘प्यार मिलन है दो स्वतन्त्र सत्ताओं का
अपने-अपने स्वत्व को बचाए रखते हुए ‘
प्यार करते हुए
लड़का सो गया गहरी नींद में देखने सुन्दर सपने
लड़की जागकर उसे हवा करती रही।
लड़के ने टूटकर चाहा लड़की को
लड़की ने भी टूटकर प्यार किया उसे
प्यार करते हुए
लड़के ने जी ली पूरी ज़िंदगी
और लड़की ने मौत के डर को जीत लिया।
लड़का खुश है आज अपनी ज़िंदगी में
लड़की पूरे ब्रम्हाण्ड में फैल गयी।
एक लडकी के दृष्टिकोण से लिखी हुई बहुत ही सुन्दर कविता.. “मर जाना चाहता हूँ मैं तुम्हारी बाहों के नीचे” – में “नीचे” खटकता है.. ‘बाहों में मर जाना’ प्रणय कविताओं का प्रचलित मुहावरा है.. प्रेम के अदृश्य संसार का अनुभव कराती और अंतिम पंक्तियों पर अवाक करती एक बहुत ही प्रभावशाली रचना!!
‘बाहों में’ कर दिया. मुझे लग रहा था कि ‘बाहों में’ करने से छंद में कुछ गडबड होगी, लेकिन ठीक लग रहा है.
भावना गहराई और उड़ान अपने उत्कर्ष पर
लड़की कहती ‘प्यार मिलन है दो स्वतन्त्र सत्ताओं का
अपने-अपने स्वत्व को बचाए रखते हुए ‘
ख़ूबसूरत कविता
शुक्र है दी, आपकी टिप्पणी पोस्ट हो गयी ब्लॉग पर 🙂
बहुत खूब ! कमाल की पंक्तियों को उकेरा है , भावपूर्ण प्रेम रचना
बढ़िया पंक्तियाँ हैं | ये लड़के इश्क के मामले में टू मच स्वार्थी टाइप क्यूँ समझे जाते हैं 🙂
नहीं डियर, यहाँ प्यार के दो दृष्टिकोणों को दिखाने की कोशिश की गयी है, किसी को कटघरे में नहीं खड़ा किया गया है. तुम इसको उल्टा भी कर सकते हो. नो जेंडर बायस हियर 🙂
अरे हम तो मजाक कर रहे थे 🙂 बस आखिरी कि लाइनों में थोड़ा गच्चा खा गए 🙂
कविता बढ़िया है
🙂
प्रेम के भावों को बहुत सुंदर शब्द दिये हैं … खूबसूरत रचना
खूबसूरत…
बेहद खूबसूरत …………………………..
अनु
लड़की ने मौत को जीत लिया
तभी तो वह ब्रह्माण्ड में फैली…
प्रेम में मौत को भी जीता जाए…
Nicely Said…Aradhana..
शुभकामनायें आपको …
larki puri bramhand me fail gayi,
last ki is pankti me sudhar ki gunjaish hai,
maf kijiyega ye bus mera apni samjh hai
kavita hridya ke kafi karib hai
dhanyawad
मैंने कई शब्द सोचे ‘फैल गयी’ के स्थान पर रखने के लिए. लेकिन कोई और शब्द वो नहीं कह पा रहा है, जो मैं बताना चाहती हूँ. क्या करूँ? कभी-कभी शुद्ध साहित्यिक शब्द हमारी भावनाओं को उतनी अच्छी तरह नहीं व्यक्त कर पाते, जितना कोई बेहद साधारण शब्द.
ji sahitya ke baare me bilkul anaari hu
bus man ke kuch lakiro ko aare-tirche sabdo me saja leta hu main bhi bus!
dhanyawad
आखरी पांच पंक्तियाँ मुझे सबसे बेहतरीन लगीं… बहुत बढ़िया.
लड़का और लड़की शब्द को एक दूसरे से रिप्लेस कर दो फिर भी बहुत अधिक अंतर मुझे नहीं दिख रहा है..
लड़का प्यार ही करता रहा। लड़की प्यार करते हुए प्यार की चिंता भी करती रही। पता नहीं प्यार क्या है? सिर्फ प्यार करना या प्यार के साथ प्यार की चिंता भी करना! जो भी हो प्यार के बारे में सोचते-सोचते कविता पर प्यार आना स्वाभाविक है।
बेहतरीन कविता, बधाई!
दो बार पढ़ी, लड़की का परिप्रेक्ष्य गुन रहा हूँ। शीघ्र ही कुछ लिखूँगा।
कविता की ज्यादा समझ तो नहीं है लेकिन इसे पढने से ऐसा लगता है कि लड़के की सोच के मामले में आप खुद कनफ्यूज हैं शुरुआती कुछ पंक्तियों मे आप लड़के के समर्पण भाव को दिखा रही है लेकिन बाद में उसे स्वार्थी भी बता रही है।
खैर दोनों तरह के लोग हैं दुनिया में।लड़की के नजरिए से अच्छी कविता।
अक्सर जो ये दावे करता है कि वो प्यार में सब कुछ छोड़ने को तैयार है, वही कुछ भी नहीं छोड़ता और जो अपने होशो-हवास संभाले रहता है, वो प्यार में होकर ज़िंदगी जीता है…वह प्यार को अपनी ताकत बना लेता है. खैर मैं पहले भी कह चुकी हूँ कि इसमें किसी को सही या गलत बताने की कोशिश नहीं की गयी है. दोनों ने एक-दूसरे को सच्चा प्यार किया. और अपनी-अपनी तरह से प्यार को जिया. मैं मानती हूँ कि वो भी सच्चा है प्यार में, जो प्यार के लिए सब कुछ छोड़ देता है और वो भी, जो प्यार को अपनी ताकत बना लेता है और अपनी शेष जिम्मेदारियां निभाता जाता है. यहाँ लड़का-लड़की से मतलब सिर्फ प्रेमी से है, इसे एक-दूसरे की जगह पर रखकर भी कविता का अर्थ वही रहेगा
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 04-10 -2012 को यहाँ भी है
…. आज की नयी पुरानी हलचल में ….बड़ापन कोठियों में , बड़प्पन सड़कों पर । .
प्रेम के विस्तार पर बहुत सुंदर रचना …..
आपके नाम को चरितार्थ कर रही है ….
बहुत सुंदर भाव और अभिव्यक्ति आराधना जी ….
शुभकामनायें ….
वाह…बहुत ही बेहतरीन कविता है…
इस ब्लॉग पर आप कम ही कविताये लिखती हैं…वैसे मुझे याद है…सबसे पहले आपकी कवितायें वाला ब्लॉग ही पढ़ा था मैंने…और फिर बाद में प्रशांत ने आपके इस ब्लॉग का लिंक दिया था 🙂 🙂 ऐसे ही याद आ गयी वो बात मुझे आज 🙂
हाँ, पहले वही ब्लॉग शुरू किया था. बाद में इस पर भी नियमित लिखने लगी.
प्रेम के भावों की दो भिन्न आयामों से की गयी बेहतरीन अभिव्यक्ति
बेहतरीन अभिव्यक्ति …..
http://pankajkrsah.blogspot.com पे पधारें स्वागत है
…सुखान्त हुआ, ये ठीक रहा !
सच लडकियां ज्यादा परिपक्व होती हैं! बढियां सवारा है इस बात को अपनी इस नयी कविता में !
बाकी तो कुछ कहना निजता की परिधि में आ जायेगा 🙂
“पर लड़की ने बचाए रखा अपना अस्तित्व
ताकि लड़के का वजूद बना रह सके ” अद्भुत ,बहुत ही सुन्दर रचना …
अच्छी प्रस्तुति……..
समर्पण में किसी के कमी नहीं … परंतु स्त्री खुली आँखों जागे मस्तिष्क के साथ दोहरी जिम्मेदारी निभाती है .
बहुत ही खूबसूरती से लिखी कविता, शब्द चित्र प्रस्तुत करती लगी.
बहुत खूबसूरत कविता। बहुत दिन बाद कोई कविता पढ़ी जिसको पढ़कर मन खुश हो गया। अच्छा , बहुत अच्छा लगा।
लोग वहीअर्थ निकालते हैं जो वो निकालना चाहते हैं… मैं भी कोई अलग नहीं हूँ.. 🙂
प्यार करते हुए
लड़के ने जी ली पूरी ज़िंदगी
और लड़की ने मौत के डर को जीत लिया।
लड़का खुश है आज अपनी ज़िंदगी में
लड़की पूरे ब्रम्हाण्ड में फैल गयी …. यह है अस्तित्व
दिव्य पंक्तियां…अद्भुत… जादुई…इस बनावट और बुनावट की कविता बहुत दिन बाद
पढ़ने को मिली..वो भी एक्सीडेंटली। सचमुच कमाल का है आपका शब्द संधान…।
प्रतिभाओं की कमी नहीं अवलोकन (15) आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है … सादर आभार !
धन्यवाद..
behtreen