ये कोई अच्छी बात थोड़े ही है. अच्छी ख़ासी फगुनहट चल रही थी. मौसम में मस्ती की फ़ुहार थी. थोड़ा-थोड़ा आलस ज़रूर था, लेकिन कुल मिलाकर शिशिर की जड़ता समाप्त होने को थी. ब्लॉग-फाग छाया हुआ था. सब कुछ ठीक था…फिर…क्या ज़रूरत थी ये कजरी-वजरी की बात छेड़ने की?? बहुत खराब बात हुई. जब से कजरी की बात चली, फागुन में बरसात हो गयी.
जी हाँ, आज सुबह से ही दिल्ली में बारिश हो रही है. आज हम दो-एक काम के लिये बाहर जाने वाले थे. जे.एन.यू. भी जाना था, शोध के काम से, पर सब ठप्प पड़ गया. अब, फागुन में कबीरा-जोगीरा, फाग, चैता गाने वाले ब्लॉगर बन्धु आप ही बतायें. आप इतने फगुनाए हुए लोगों पर एक हमारी कजरी भारी पड़ी कि नहीं. हम पछता रहे हैं. अच्छा-खासा माहौल खराब कर डाला हमने. पर क्या करें? ये शायद मन ही है. कुछ अनमना सा है इन दिनों. थोड़ी तबियत खराब थी, तो बाबूजी की याद आने लग गयी. एक वही थे जो दिन में कम-से-कम दो-तीन बार फ़ोन करके पूछते थे कि “गुड्डू तुम्हारी तबीयत तो ठीक है?”, “…खाना खाया कि नहीं?”, “…ज़्यादा पढ़ाई मत करना. थोड़ा घूम-वूम लिया करो बाहर, मन बहल जायेगा.” वगैरह-वगैरह…आज सुबह से पड़ी हूँ, खाना भी नहीं बनाया, पर कोई पूछने वाला नहीं…बारिश हो रही है…सुबह से. भीग गया है सब कुछ, बाहर और…अन्दर…
:))
Don’t worry !! From now on I will ask you at regular intervals whether or not you have had your meals :-)) ..Just stop feeling blue !! I am posting “Aditi Song” link.I don’t know whether U like the song or not but when I am chased by such depressive thoughts the Aditi song has worked wonders.
A very precious advice:Never skip the meals..hehehe
And yes,your father sounds so right: थोड़ा घूम-वूम लिया करो बाहर, मन बहल जायेगा… Take a walk when the rain stops but first ensure the fuel for the body.Take your meal even as I realize that it’s too late !!
THANKS ARVIND!!!
Are U on Orkut or Facebook ? I am on both the sites.
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फागुन खुद बरसात है और फिर फागुनी बरसात भी फागुन के रंग को फीका कर सकती है क्या!
वसन्तोत्सव से बेहतर समय यादों के लिये
शायद..!
कोई और नहीं हो सकता ..।
आभार …!
hmmm.. shodh ke kaam se? aap bhi PhD dr. hain kya?
चलिये, अब से फागुनी बयार शुरु हो..कजरी तो खैर हो ही गई.
यही अकेलापन आज की सबसे बड़ी बीमारी है,हम भी चाहते है की कोई हमें रोके टोके पर कोई नहीं है…सयुंक्त परिवार की कमी अब खलती है..
सुबह से. भीग गया है सब कुछ, बाहर और…अन्दर…
अच्छा लिखा है. बहुत बढ़िया !!
nice
अब तबियत कैसी है आपकी? नाश्ता किया कि नहीं? केल्लोग्स ज़रूर खायीएगा….. इसमें आयरन होता है…. दिमाग के लिए बहुत अच्छा होता है…. पढ़ाई में मदद मिलेगी…. देखिये…आज मौसम में थोडा बदलाव हुआ है…. ख़याल रखियेगा….अपना… तबियत अगर ज्यादा खराब है तो प्लीज़ डॉक्टर को दिखा लीजिये….. बाकी काम तो होते रहेंगे….. आज खूब आराम करियेगा…. हाँ! ठण्ड बढ़ गई है…अचानक मौसम के चेंज होने से….. लापरवाही मत करियेगा…. आज सिर्फ रेस्ट करिए….
बाकी हालचाल मैं शाम में पूछता हूँ…….
तब तक के लिए
bbye
take care…
सही कहा ..
यहाँ दिल्ली में आपकी पोस्ट से सवन्हा – पानी झिर्झिराने लगा ..
फागुन में सावन इसी को कहते है … आप सबपर भारी पडीं ..
is mausam में jnu तो poore दिल्ली को birane lagta है .. ghoom जाइए ..
awsaad भी नहीं rahega …
इन्ही पोस्टों ने तुडवा दीन्हा मेरा मंगल ब्लॉग व्रत -जरा संभल कर ओ निशागामिनी ,टेक केयर !
@Arvind Mishra
“इन्ही पोस्टों ने तुडवा दीन्हा मेरा मंगल ब्लॉग व्रत” ..Interestingly, it sounds very similar to opening line of this famous song : Inhi logon ne le leena dupatta mera :-))
सुन्दर!
उनकी ज़िन्दगी के वो रूमानियत भरे दिन (3.) से पीछे की पोस्टें पढ़ते हुये यहां तक आया। बहुत सुन्दर!